प्रसूति, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ Op.Dr.Numan Bayazıt ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। जबकि शुक्राणु और भ्रूण अतीत में सफलतापूर्वक जमे हुए हैं, वही अंडे के मामले में नहीं था। "स्लो फ्रीजिंग" विधि से जमे हुए अंडे पिघलने पर पर्याप्त कुशल नहीं थे। आज "विट्रीफिकेशन" नामक तकनीक के उपयोग से स्थिति बदल गई है। जमे हुए अंडे के साथ इन विट्रो निषेचन प्रक्रिया ताजा अंडे की तरह ही सफल होती है। इससे एग फ्रीजिंग के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है।
एग फ्रीजिंग प्रोसेस का इस्तेमाल सबसे पहले कैंसर और ओवेरियन ट्यूमर जैसी बीमारियों में किया गया, जिसके इलाज से ओवरी को नुकसान पहुंच सकता है। किसी भी कैंसर के लिए कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे उपचार अंडों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आजकल, जिन महिलाओं ने अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद अभी तक शादी नहीं की है, वे अक्सर आवेदन करती हैं। एक अन्य समूह वे हैं जो करियर या आर्थिक कारणों से गर्भावस्था को स्थगित करते हैं। नियमों में हाल ही में किए गए बदलाव भी महिलाओं को प्रारंभिक रजोनिवृत्ति के पारिवारिक इतिहास या कमजोर अंडाशय के साथ इस प्रक्रिया को करने की अनुमति देते हैं।
प्रक्रिया अंडा संग्रह चरण तक इन विट्रो निषेचन के समान है। मासिक धर्म की शुरुआत से दी जाने वाली दवाओं से अंडे को बड़ा किया जाता है। इसमें औसतन 10-12 दिन लगते हैं। इस दौरान एग के फॉलोअप के लिए 3-4 बार और एग कलेक्शन के लिए एक बार आना जरूरी होता है।एग फ्रीजिंग के साथ सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि महिलाएं इस तरीके का सहारा देर से लेती हैं। 37 साल की उम्र के बाद बनी आइसक्रीम से उम्र के साथ जीवित बच्चे होने की दर कम हो जाती है। इसलिए आपको देर नहीं करनी चाहिए।